Hanuman Aarti: आरती कीजै हनुमान लला की

krishna bhatt

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर काँपे।रोग-दोष जाके निकट न झाँके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई।संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।लंका जारि सिया सुध लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे।सियाराम जी के काज सवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जमकारे।अहिरावण की भुजा उखारे॥

बायें भुजा असुर दल मारे।दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे।जय जय जय हनुमान उचारे॥

कंचन थार कपूर लौ छाई।आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमान जी की आरती गावै।बसि बैकुंठ परम पद पावै॥

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