विष्णु जी की आरती (आरती श्री विष्णु भगवान की)

krishna bhatt

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट।
क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अन्तरयामी।
स्वामी तुम अन्तरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
स्वामी तुम पालनकर्ता।
मैं मूढ़ खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

दीनबंधु दुःखहरता, तुम्ह बिन और न दूजा।
स्वामी तुम्ह बिन और न दूजा।
आशा करूं जगत में, मेरे मन पूरन की॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट।
क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

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