क्या है खबर?
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने गूगल और ऐपल से आग्रह किया है कि स्मार्टफोन डिवाइस में सरकारी ऐप्स को पहले से इंस्टॉल किया जाए।
- इसके साथ ही, GOV.in ऐप स्टोर को iOS और एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर आसानी से उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।
- सरकार चाहती है कि ये ऐप्स ‘अविश्वसनीय स्रोत’ चेतावनियों के बिना डाउनलोड किए जा सकें।
सरकार की मंशा क्या है?
- उद्देश्य:
सरकारी योजनाओं और सेवाओं को प्रौद्योगिकी के माध्यम से अधिक प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचाना। - रणनीति:
- सरकारी ऐप्स को GOV.in ऐप स्टोर के माध्यम से सुलभ और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना।
- स्मार्टफोन में सरकारी ऐप्स को पहले से इंस्टॉल करने से उनका उपयोग बढ़ाने की योजना।
पहल का प्रगति स्तर:
- बैठकें:
पिछले महीने गूगल और ऐपल के अधिकारियों के साथ MeitY की बैठक हुई।- इसमें GOV.in ऐप स्टोर को उनके ऐप स्टोर्स पर शामिल करने का अनुरोध किया गया।
- प्रतिक्रिया:
- गूगल और ऐपल ने इस पहल में रुचि नहीं दिखाई।
- कंपनियों की अनिच्छा को देखते हुए कानूनी या नीतिगत उपायों पर विचार किया जा रहा है।
तकनीकी दिग्गजों की अनिच्छा का कारण:
- गूगल और ऐपल के पास अपने प्लेटफॉर्म पर सख्त ऐप पॉलिसी होती हैं।
- सरकारी ऐप्स को बंडल करने से उनके यूजर अनुभव और डिवाइस प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ने की संभावना हो सकती है।
- कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर ऐप्स की सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर अत्यधिक सतर्क रहती हैं।
सरकार की संभावित कार्रवाई:
- कानूनी उपाय:
सरकार अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत आदेशों का सहारा ले सकती है। - GOV.in ऐप स्टोर:
- ऐप्स को एक सूट में बंडल करके स्टोर के भीतर उपलब्ध कराना।
- उपयोगकर्ताओं के लिए इन ऐप्स का डायरेक्ट एक्सेस बढ़ाना।
वर्तमान स्थिति:
- फिलहाल सरकारी ऐप्स अलग-अलग गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर पर उपलब्ध हैं।
- GOV.in ऐप सूट में बंडल होने से सरकारी सेवाओं का उपयोग बढ़ सकता है।
निष्कर्ष:
- भारत सरकार डिजिटल सेवाओं को आम जनता तक बेहतर तरीके से पहुंचाने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों से सहयोग चाहती है।
- हालांकि गूगल और ऐपल की अनिच्छा सरकार के लिए चुनौती हो सकती है।
- यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार नीतिगत आदेशों के माध्यम से इस समस्या का समाधान कैसे करती है।
आगे की राह:
Contents
- क्या यह कदम डिजिटल इंडिया अभियान को और मजबूत करेगा?
- गूगल और ऐपल इस प्रस्ताव के प्रति कितना लचीला रुख अपनाएंगे?