यह विधेयक ‘एक देश एक चुनाव’ (One Nation, One Election) की परिकल्पना को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह प्रस्तावित विधेयक राष्ट्रीय, राज्य और अन्य विधानमंडल चुनावों को एकसाथ कराने के उद्देश्य से संविधान में संशोधन करता है।
- विधेयक का उद्देश्य:
- संसदीय और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर कराना।
- अनुच्छेद 83, 172 और 327 में संशोधन।
- एक नया अनुच्छेद 82(A) जोड़ा जाएगा।
- यह स्थानीय निकायों (पंचायत और नगरपालिका चुनावों) पर लागू नहीं होगा।
- विधेयक का समय-सीमा:
- एकसाथ चुनाव 2034 से लागू होने की संभावना।
- समय से पहले विधानमंडल भंग होने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव का प्रावधान भी किया जाएगा।
- राजनीतिक प्रतिक्रिया:
- भाजपा और NDA: सभी सांसदों को लोकसभा में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया गया।
- विपक्ष: कांग्रेस, ममता बनर्जी (TMC), एमके स्टालिन (DMK) समेत विपक्षी दल इसे “लोकतंत्र विरोधी” बता रहे हैं।
- JPC को विधेयक भेजने की योजना:
- लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया जाएगा कि विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भेजा जाए।
- JPC में सभी दलों के सांसद आनुपातिक आधार पर शामिल होंगे और विधेयक पर विचार-विमर्श करेंगे।
विधेयक की प्रमुख चुनौतियां:
- संवैधानिक संशोधन की जटिलता: केंद्र और राज्य चुनावों की समयावधि भिन्न होती है।
- राजनीतिक सहमति: सभी राज्यों और विपक्ष का समर्थन आवश्यक।
- लॉजिस्टिक्स और संसाधन: चुनाव आयोग पर एकसाथ चुनाव कराने का बड़ा दबाव होगा।
‘एक देश एक चुनाव’ की अवधारणा देश में चुनावी खर्च को कम करने और बार-बार चुनावों से होने वाले व्यवधान को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकती है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए राजनीतिक और संवैधानिक सहमति बेहद जरूरी है।