प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के ऐतिहासिक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इस प्रस्ताव को संसद में पेश किया जाएगा।
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- शीतकालीन सत्र में पेश:
- यह विधेयक संभवतः संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, जो 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
- सरकार का लक्ष्य है कि इस प्रस्ताव पर जल्द से जल्द चर्चा और निर्णय हो।
क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’?
‘एक देश, एक चुनाव’ का उद्देश्य देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कराना है।
- कैसे होगा काम:
- देशभर में चुनाव दो चरणों में कराए जा सकते हैं।
- यदि किसी राज्य सरकार का कार्यकाल बीच में समाप्त होता है, तो उस राज्य के चुनाव अन्य राज्यों के साथ अगले चक्र में कराए जाएंगे।
- समिति की रिपोर्ट:
- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने यह प्रस्ताव तैयार किया था।
- 18,626 पन्नों की रिपोर्ट मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई थी।
संवैधानिक और राजनीतिक प्रक्रिया
इस विधेयक को लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी।
- संविधान में संशोधन:
- अनुच्छेद 327 में संशोधन कर ‘एक देश, एक चुनाव’ को जोड़ा जाएगा।
- राज्यों की सहमति:
- प्रस्ताव को लागू करने के लिए 50% राज्यों की विधानसभाओं से समर्थन की आवश्यकता होगी।
- सरकार राज्यों के नेताओं, विशेषज्ञों और नागरिक समाज से सुझाव मांगेगी।
समिति की सिफारिशें
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई प्रमुख सिफारिशें की हैं:
- पहला चरण:
- लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं।
- दूसरा चरण:
- 100 दिनों के भीतर पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं।
- लाभ:
- चुनावी खर्च में कटौती।
- बार-बार चुनावी आचार संहिता लागू होने से बचाव।
- प्रशासनिक कामकाज में बाधाएं कम होंगी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और चुनौतियां
- JPC का गठन:
- प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति बनाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया जाएगा।
- चुनौतियां:
- विपक्ष के कई दल इस प्रस्ताव पर असहमति जता सकते हैं।
- केंद्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी राज्यों और दलों के साथ विचार-विमर्श हो।
क्या ‘एक देश, एक चुनाव’ से होगा फायदा?
समिति और विशेषज्ञों के अनुसार:
- बार-बार चुनावों से होने वाला व्यय और समय बचेगा।
- प्रशासनिक प्रक्रिया अधिक सुचारू और पारदर्शी बनेगी।
- देशभर में चुनावी एकरूपता आएगी।
क्या होगा आगे का कदम?
संसद में चर्चा के बाद विधेयक को लागू करने के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह राजनीतिक दलों और राज्यों से कितना समर्थन हासिल कर पाता है।
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