शिव जी की आरती (आरती श्री शिवजी की)

krishna bhatt

जय शिव ओंकारा, हर ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, अर्द्धांगधारा॥

जय शिव ओंकारा…

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥

जय शिव ओंकारा…

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

जय शिव ओंकारा…

अक्ष माला वंशी त्रिशूल डमरू धारी।
गंगा बहे शशि ललाट मौली चंद्रधारी॥

जय शिव ओंकारा…

श्वेताम्बर पीतम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

जय शिव ओंकारा…

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुःखहारी जगपालन कारी॥

जय शिव ओंकारा…

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥

जय शिव ओंकारा…

जय शिव ओंकारा, हर ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, अर्द्धांगधारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा!

Share This Article